बादशाह किसरा के किले में ज़लज़ला। Earthquake in Forte of King Qisra.

Miracle at the time of birth of prophet Muhammad s.a.w.

हजरत याकूब बिन सुफियान हजरत आयशा रज़ी अल्लाहु अन्हा से रिवायत करते हैं कि एक यहूदी मक्के में तिजारत की गर्ज से रहता था। जिस रात में आप  सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम पैदा हुए, तो सुबह उसने कुरैश की मजलिस में यह पूछा कि क्या इस रात में मक्का में कोई लड़का पैदा हुआ है। कुरैश ने कहा कि मालूम नहीं। यहूदी ने कहा कि जरा तहकीक तो करके आओ। आज की रात में इस उम्मत का नबी पैदा हुआ है। उसके दोनों कंधों के बीच में एक पहचान है, यानी नबुवत की मोहर है। वह दो रात तक दूध नहीं पिएगा, क्योंकि एक जिन्नी ने उसके मुंह पर उंगली रख दी है। लोग फौरन उस मजलिस से उठे और इसकी तहकीक की। मालूम हुआ कि अब्दुल्ला बिन अब्दुल मुत्तलिब के लड़का पैदा हुआ है। यहूदी ने कहा कि चल कर मुझे भी दिखाओ। यहूदी ने जब दोनों कंधों के बीच में पहचान, यानी नबुवत की मोहर को देखा तो बेहोश होकर गिर पड़ा। जब होश आया तो कहा की नबुवत बनी इसराइल से चली गई। ए कुरैश वालों यह तुम पर एक ऐसा हमला करेगा कि जिसकी खबर मशरिक से लेकर मगरिब तक फैल जाएगी।

जिस रात में हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पैदाइश हुई, उसी रात में किसरा की हुकूमत के ईवान में जलजला आया, जिससे महल के 14 कंगरे गिर गए, और फारस का आतिश कदा यानी जहां आग की पूजा की जाती है जिसमें हजार साल से लगातार आग जल रही थी वह बुछ गया, और दरिया ए सावा खुश्क हो गया। जब सुबह हुई तो बादशाह किसरा बहुत ही परेशान था, उसकी शाहाना शान ओ शौकत भी मुरझाई हुई थी। वजीरों और दरबारियों को जमा करके दरबार लगाया। इसी बीच दरबार में यह खबर पहुंची कि फारस का आतिश कदा बुझ गया है। किसरा की परेशानी में और इजाफा हो गया। उधर से मोबजान ने खड़े होकर कहा कि इस रात मैंने यह ख्वाब देखा है की सख्त ऊंट अरबी घोड़ों को खींचे ले जा रहे हैं और दरिया ए दजला से पार होकर तमाम मुल्कों में फैल गए। किसरा ने मोबजान से पूछा कि इस ख्वाब की ताबीर क्या है? मोबजान ने कहा कि शायद अरब की तरफ से कोई अजीमुश्शान हादसा पेश आएगा। किसरा ने इत्मीनाम की गरज से नौमांन बिन मंजर के नाम एक फरमान जारी किया कि किसी बड़े आलिम को मेरे पास भेजो जो मेरे सवालों का जवाब दे सके।

नौमान बिन मंजर ने एक बेहतरीन अलिम अब्दुल मसीह गसानी को रवाना कर दिया। अब्दुल मसीह जब दरबार में हाजिर हुआ तो बादशाह ने कहा कि मैं जिस चीज को तुमसे पूछना चाहता हूं क्या तुम्हे उसका इल्म है? अब्दुल मसीह ने कहा कि आप बयान फरमाए अगर मुझे इल्म होगा तो मैं बता दूंगा वरना किसी जानने वाले की तरफ रहनुमाई कर दूंगा। बादशाह ने तमाम वाकया बयान किया। अब्दुल मसीह ने कहा कि गालिबन इसकी तहकीक मेरे मामू सतीह से हो सकेगी जो आजकल मुल्क ए शाम में रहते हैं।

किसरा ने अब्दुल मसीह को हुक्म दिया कि तुम खुद अपने मामू से इसकी तहकीकात करके आओ। अब्दुल मसीह जब अपने मामू सतीह के पास पहुंचा तो सतीह उस वक्त नज़ा की हालत में था यानी मौत के करीब था, मगर होश अभी बाकी थे। अब्दुल मसीह ने जाकर सलाम किया और कुछ शेर पड़े। सतीह ने जब अब्दुल मसीह को शेर पढ़ते हुए सुना तो अब्दुल मसीह की तरह मुतवज्जह हुआ और यह कहा कि अब्दुल मसीह तेज ऊंट पर सवार होकर सतीह के पास पहुंचा जबकि वह मरने के करीब है। तुझे बनी शासान के बादशाह ने महल के जलजले आतिश कदा के बुझ जाने और मोबजान के ख्वाब की वजह से भेजा है कि सख्त और ताकतवर ऊंट अरबी घोड़ों को खींचे ले जा रहे हैं और दरिया ए दजला से पार होकर तमाम बिलाद में फैल गए हैं।

ए अब्दुल मसीह खूब सुन ले जब कलाम ए  इलाही की तिलावत कसरत से होने लगे, साहब ए असा जाहिर हों, वादी समावा रवा हो जाए, दरिया ए सावा खुश्क हो जाए और फारस की आग बुझ जाए तो सतीह के लिए शाम-शाम ना रहेगा। बनी सासान के चंद मर्द और चंद औरतें बकद्र कंगरो के बादशाहत करेंगें, और जो शै आने वाली है गोया आ ही गई है। यह कहते ही सतीह मर गया। अब्दुल मसीह वापस आया और किसरा से यह तमाम माजरा बयान किया। किसरा ने सुनकर यह कहा कि 14 सल्तनतो के गुजरने के लिए एक जमाना चाहिए। मगर जमाने को गुजरते क्या देर लगती है? 10 सल्तनतें तो चार ही साल में खत्म हो गई, और बाकी चार सल्तनतें हजरत उस्मान गनी रज़ि० के जमाने खिलाफत तक खत्म हो गई। हाफिज इब्ने सैयद उल नास रहमतुल्ला अलैहि ने इस वाकए को ईवान अल असर में अपनी तवील सनद के साथ जिक्र किया है। और यह रिवायत तारीख इब्ने जरीर तिबरी में भी इसी सनद के साथ मजकूर है।

Leave a Comment