“मुहम्मद” नाम क्यों रखा गया? The Truth Behind Naming “Muhammad”?

Auzubillah Bismillah

सरवर ए कोनैन, ताजदार ए मदीना, हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पैदाइश के सातवें दिन हजरत अब्दुल मुत्तलिब ने आपका अकीका किया, और इस तक़रीब में तमाम कुरैश को दावत दी, और आप सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम का नाम “मुहम्मद” तजवीज़ किया। कुरैश ने कहा, “अबुल हारिस”! (यह हजरत अब्दुल मुततलिब की कुननियत है) आपने ऐसा नाम क्यों तजवीज़ किया जो आपके आबा व अजदाद और आपकी कौम में से अब तक किसी ने नहीं रखा। हजरत अब्दुल मुत्तलिब ने कहा, मैंने यह नाम इसलिए रखा, कि अल्लाह आसमान में और अल्लाह की मखलूक जमीन में इस बच्चे की हम्द व सना करे। हजरत अब्दुल मुत्तलिब ने आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की विलादत से पहले एक ख्वाब देखा था, जो इस नाम के रखने का सबब बना। वो ख्वाब यह था कि हजरत अब्दुल मुत्तलिब की पीठ से एक जंजीर जाहिर हुई जिसकी एक साइड आसमान में, एक साइड जमीन में, एक साइड पूरब में और एक साइड पश्चिम में है। कुछ देर बाद वह जंजीर दरख्त बन गई जिसके हर पत्ते पर ऐसा नूर है कि जो आफताब के नूर से 70 गुना ज़्यादा है। मशरिक़ और मगरिब के लोग उसकी शाखों से लिपटे हुए हैं। कुरैश में से भी कुछ लोग उसकी शाखों को पकड़े हुए हैं और कुरैश में से कुछ लोग उसके काटने का इरादा करते हैं। यह लोग जब इस इरादे से उस दरख्त के करीब आना चाहते हैं तो एक निहायत हसीन और जमील जवान उनको हटा देता है। मुअब्बीरीन ने अब्दुल मुत्तलिब को इस ख्वाब की यह ताबीर दी कि तुम्हारी नस्ल से एक ऐसा लड़का पैदा होगा कि मशरिक़ से लेकर मगरिब तक लोग उसकी इत्तबाअ करेंगे और आसमान और जमीन वाले उसकी हम्द व सना करेंगे। इस वजह से अब्दुल मुत्तलिब ने आपका नाम मुहम्मद रखा। इधर अब्दुल मुतालिब को इस ख्वाब से मुहम्मद नाम रखने का ख्याल पैदा हुआ, और उधर आपकी वालिदा माजिदा को नेक ख्वाब के जरिए से बताया गया कि तुम बरगुज़ीदा ख़लाइक और सय्यदुल उमम की हामला हो। उसका नाम मुहम्मद रखना और एक रिवायत में है कि अहमद रखना। हज़रत बुरैदा और हज़रत इब्ने अब्बास की रिवायत में है कि मुहम्मद और अहमद रखना।

ग़र्ज़ यह कि साहब ए इलहाम, नेक ख्वाबों के तवातुर, माँ, दादा, अज़ीज़ व अकारिब, अपने और पराए सभी की जबान से वह नाम तजवीज़ करा दिए गए कि जिस नाम से अंबिया और मुरसलीन उस नबी उम्मी की बशारत देते चले आ रहे थे।

जिस तरह हजरत अब्दुल मुत्तलिब का तमाम बेटों में से सिर्फ आपके वालिद माजिद का ऐसा नाम तजवीज़ करना कि जो अल्लाह के नजदीक सबसे ज्यादा महबूब हो यानी “अब्दुल्लाह’ नाम रखना यह अल्लाह की तरफ से अल्का था। इसी तरह आपका नाम ए मुबारक मोहम्मद और अहमद रखना, यह भी बिला शुबा अल्लाह की तरफ से इल्हाम था। जैसा कि अल्लामा नूवी रहमतुल्लाह अलैहि ने शरह मुस्लिम में इब्न ए फारिस वगैरा से नकल किया है कि हक तआला शानहू ने आप स.अ.व. के घर वालों को इल्हाम फरमाया इसलिए यह नाम रखा गया।

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